पस्टो

छविलाल कोपिला
२६ श्रावण २०७८, मंगलवार
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बालकथा
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अइ ! उ लवन्डा हेरो कैसे कैसे करटा ?

अई ! के हो ?

के रही, सझ्लान बर्किक् छुट्की डुलरुवा छावा हुइन्, उहे हरबरिया, के रही ।

यी, डबुवा पैनाहस्, यकर डाइबाबा कुल नैहेठुइस् कि का ?

हेर्हिस् नै, नैडेख्ठो डाइ ओट्ठहें ठिल्कल् हेर्टिस् ।
टे डाइ कुल कुछ नैकठिस् कि का ?

कहिहिस्, यी डुलरुवा छावइहे । यिहिहे क्यो कुछ कहट् किल डाइ सुन्हिस् टे ठेठ्की झराइ लग्ठिस् उल्टे ।

कैसिके टे, यी लवन्डा डबुवा पैनाहस्, जेकर सइकिल आइठ् छेँके जाइठ् ।

हरबरिया ५ बरसक् लवन्डा हो । उ अपन डाइबाबक् महा छिह्लाइल्, उ चाहे जौन मेरके काम करी डाइबाबा कुछ प्रवाह नै । एक टे उ छोट्हीसे हरब्वङ्गहा रहे । डाइबाबा छिह्ल्वइलक् ओरसे उ आउर हरब्वङ्ग हरब्वङ्ग काम करक् सिख लेहल् । ओकर एकठो दिदी चम्फी बटिस् । उ महा घैखर, घरक् काम खोब मनलगाके करठ् । सक्हुनसे मजासे बोलठ् लकिन ओकर डाइ कमलरियाहस् कैले रठिस् ।

जब हरबरियक् घरक् डग्रा सोझ कोइ मनै जैंहीं टे कबो ढेला बगाइठ्, घनु ढुर झोंक् डेहठ् । कबो का मन हुइहिस टे गोबर, हिल्ला, घिनाहुन फुहर पानी छिट डेहठ् । उहेसे उ गल्लीमे नेंगुइयन परेसान रठाँ । सइकिल, गारी मोटर आइ टे उ डग्गर छेंके लागठ् । यी सक्कु डेख्टी डेख्टी फेन हरबरियक् डाइबाबा कब्बो डोबे ओबे नैजैठाँ । उ अपन मन्का करठ् । कोइ लवन्डैहे कुछ कैडिहिस् टे ओकर डाइ आगी झोंके लग्ठिस् । उहेसे गाउँक मनै फेन चुपाइल् रठाँ ।

स्कूलमे मध्यन्टी हुइल टे सक्कु लर्का अपनअपन मिझ्नी लेले बाहेर निकरलाँ । कोइ डँरवाँ ओर खेले निकरलाँ । कोइ कहोंर कोइ कहाेंर, सक्कु कोठा खाली हुइल् अक्के घचिम् । हरबरिया अपन नन्लक मिझ्नी अन्गुट्टहीं खाके ओर्वा रख्ले रहे । उ अपन नानल् कौनो चाज कुहीहे खाइक् नैखेहठ् । अक्केली खाइठ् औरे जाने नन्लक खैना नैडिहिस् टे उ झगरा करे लागठ् ओ अँछोरे फेन लागठ् । यिहे बान डेख्के कोइ फेन खाइक, खेलक नैमिलैठिस् । खेलमे कबो हटी टे फेन घेँघाइ लागठ् । उहेसे यिहीहे कोइ फेन नैमिलैठिस् ।

आधा घण्टक् छुट्टीमे सक्कु जाने अपनअपन खेलमे डँटल् बटाँ । आझ सक्कु जाने अपनअपन जोरिया पुगा डरलक् ओरसे हरबरिया अक्केली हुगैल् । उ यहोंर ओहाेंर गैल् कोइ नैमिलैलिस् । भोह्¥याइल् एक घचिक लर्कनके खेल बैठ्के हेरल् ओ फेन उठ्के कोइ मिलैठाँ कि कैह्के डोसर बगाल ओर सोझ्रल् ।

यहोंर हरबरियक् कक्षम् पह्रना खुरबुट्नी, फग्नी, चेंचवा ओ बुझ्ना अपन घरेसे नन्लक खिरा, लन्गी, निमुवाँ चारुजाने मिलके खैलाँ ओ स्कूलिक डँरवँक् एक कोनवाँपर टिलो खेले भिंरल् बटाँ । चारुजाने कत्रा मजासे मिलके टिलो खेल्टटाँ । हरबरिया ओइनहे डेखल् ओ सोंचल् यइने महिहे मिलैहीं, डौर्टी आइल् ओ ‘लेउ रे मैं कल्डुङ्गवा ।’

उहीहे आइट् डेख्के चेंचवा–लेउ यी गड्हाहे नैमिलाब । सक्कु जाने ‘हाँ नैका यी कोर्हिया झगरा किल खेलठ्, नैमिलैना हो ।

हरबरिया अइटी किल–लेउ मैं यहोंर लागटँु, तीन ढाल लागम् टे टिलो मर्न पाला आइ ।
ओकर बाट् सुनके सक्कुजाने ‘नाही टुँहिहे मिलैबे नैकरब्, हम्रे मिलके खेल्टी टे ।’

सारन नैमिलैबो टे टिलो उलो बगाडेम् ।’ नैमिलैनाहस् कैलिस् टे उ टिलो बगैना नाउँ लेहे लागल् ।

ओकर बाट् सुनके चेंचवा ‘ले बगा टे ?’

हरबरिया उठल् फुरे टिलो उठाके बगाडेहल् । बगाइबेर एकठो टिलो फग्नीक भाउँमे लग्लिस् उ ओट्ठेहें चिल्लाइ लागल् । टिलो बगैटी किल् चेंचवा उहिहे बरे डुर टक रगेडल्, लकिन पक्रे भर नैसेकल् । यहोंर फग्नी डैया–बाबा कैटी चिल्लाइटहे । सक्कु जाने उहिहे फुस्लाइ लग्लाँ ‘जिन रोउ फग्नु, काल्ह आइ टे सक्कुजाने मिलके पिटब् ।’ फग्नी संघरियन सम्झाइटटाँ कैह्के रोइक् छोरल् लकिन बरे घचिक सुस्करल् । ओसिन टे हरबरिया काल्ह बुझ्नक् झुलुवा चिंठ्के रुवइले रहे, परौं खुरबट्नीक भुट्ला नक्नकवाके । चेंचवा ठनिक् भारी हुइलक ओरसे उहीहे पिटे नैसेक्ले रहे । लकिन एक दिन स्कूल आइबेर ओर झुलुवामे गोबर फचक् डेले रहे, उहेसे उहिहे फेन रीस लागल् रहिस् । चारुजाने उहिसे सट्वा पैलक् ओरसे उहिहे सक्कुजाने मिलके एक दिन बड्ला लेना सल्लाह कैलाँ ओ घण्टी लग्लक् ओरसे चारुजाने कोठा ओर लग्लाँ, हरबरियाभर डरके मरे आझ कोठामे फेन नैगैल् ।

डोसर दिन फेन मध्यन्टीमे सक्कुजाने अपनअपन ठाउँमे खेले भिँरलाँ, चेंचवा, खुरबुट्नी, फग्नी ओ बुझ्ना अपन ठाउँमे आझ फेन टिलो खेल्टी रहिंट् । हरबरिया ओइनहे खेलट् डेख्के खेल्ना सौक लग्लिस् । रहरयाइलके मारे काल्हिक टिलो बगैलक् फेन बिस्रा डारल् । उ लुर्घस् लुर्घस् ओइने ओर जाइ लागल् । यहोंर उहीहे आइट् डेख्के चेंचवा ‘कोर्हिया आइटा आझ फेन लेउ आझ सक्कुजाने मिलके पिटी टब चेटी नैटे अस्टे करल् करी ।’ सक्कु जाने ओकर बाटेमे हामी भरलाँ ।

उ अइटी किल ‘अरेउ ! महिहे फेन मिलाउ ।’

चेंचवा ‘आ नारे ।’

चेंचवक् बाट् सुनके उहिहे महा फोंही लग्लिस् ओ हँस्टी ‘लेउ मैं कल्डुङ्गवा ।’ कह्टी टिलो बनैलक ठाउँमे का पुगल् रहे, चेंचवा कस् पोकरी ओकर आँखीमे मारल्् । उ ओट्ठहें घुस्मुरके घिघियाइ लागल् । बुझ्ना यिहे मौका हो कैह्के टँग्री पकरके घिंसियाइ लागल्, खुुुुुरबुट्नी ओकर भुट्ला पकरके नक्नकवाइ लागल् । फग्नी हाँठक् सुँइटीले सुँइट् सुँइट् गोरा ओ हाँठेम् ढैडेहल् । यहोँर चेंचवा अपन बड्ला उटारक् लग गोबरक् छोटाले ओकरमे फचक् डेहल् ओ मुहेंभर आँख ओंख नैबिल्गैना मेर चबड् डेहल् । बुझ्ना झुलुवा चिंठ्लक् सम्झल् ओ उहो ओकर झुलुवा कल्लर पकरके चिंठ्के दुई छिम्मर पारडेहल् ओ लाटेलाट् लगाके छोर डेलाँ । हरबरिया ओट्ठेहें घिघिया घिघिया रोइ लागल् । यहोंर घण्टी लग्टीकिल सक्कुजाने कोठा ओर लग्लाँ उ ओट्ठेहें रोइटी रैह्गैल् ।

यहोंर हरबरिया घरे पुगल् टे डाइ डेख्लिस् । झुलुवा चिँठल्, आँगेभर गोबरकिल, हाँठगोरामे सोम्ला परल् । रोइलक् आँस गाल समसम डनियाइल् रहिस् । अभिन उ सुस्कर्टी रहे । अइसिन हालत डेख्के ओकर साँस छुट्गैलिस् । उहीहे काकरुँ ? का नैकरुँ हुगैलिस् । उ अपन रीस अपन छाइ चम्फीकमे झोंके लागल् । ‘अरी ! लर्का ओर्का नैहेरठे कि का ? लर्कैहे अइसिके पिट्ले बटिस् ।’

चम्फी ओहोंर बोलल् ‘अपन छिह्लैला छावा दिनभ्र लर्कनसे झगरा खेल्टी रठिस् । स्कूल जाइटे लर्कनमे कबो ढुर झोंकी, कबो हिल्ला फच्की, कबो खेल्टीखेल्टी टिलो बगाइ जाइ टे नैपिट्हिस् ? भल हो ।’ भलैया खवइलिस् उल्टे ।

‘ना बर्बरा नैटुहीं फेन झोंट्ना पकरके नक्नकवा डेम्, यकर का अकिल् ? छोट् लर्का टे हुगैल् ।’

चम्फी अपन डाइक् बाट् सुनक् नै चाहल्, उ अपन कामेम चल्गैल् डाइ बर्बराइल् कैलिस् ।

सक्कारे खिडिया अँगना बहारे भिँरल् बा । उ गल्लीमे खेल्टा । सइकिल अइटीकिल् छेकठ्, घनु ढुर झोंकठ् मनैनपर । दुई जाने टे उहिहे जोगैटी जोगैटी ओट्ठेहें घुस्मुरल् रहिंट् । खिडिया ओइनहे घुस्मुरट् डेख्के हाँसल् बेन अपन छावइहे एक अँख्रा नैडोबल् । यहोंर अपन भैवाहे ओसिक करट् डेख्के चम्फी ‘अरे ! हरब्वङ्गवा, का अपनसे भारी मनैनहे गिरैनाहस् कर्ठे ?’ अट्ना का बोल्ले रहे । खिडिया ओहोंर टेँडुक् काठीहस् चिर्चिराइ लग्लिस् । ‘खेले डे टे का, टोर कठेक् कर्रा पर्टा । यहोंर बरबराइ आइटे, ओट्टी चल्जा ।’

छाइहे गरियाइट् सुनके ओहोंर बाबा ‘अरी ! डोब्ना–ओब्ना हो कि, लर्कनहे ओस्टे गल्लिम् छोर्ले रना हो ? छाइ ठिके टे कहटा ।’

ठरुवा फेन ओह्रे लाग्टा कैह्के सम्झल् काहुन् खिडिया, बस् उटे भुजा उल्रेहस् ‘टुहिनहे सहेरे पर्टा ? यहोंर बरबराइ आइटो, छोट् लर्का टे हुगैल् । चलि नै का करी, यहाँ मोरठन् । का का हो बरबराइ लागल् । अपन गोसिनियक् गारी सुनके उ हटल् गिद्धाहस् एक पाँजर ओहट्गैल् चिमचाम ।

यहोंर डाइक् बाट् सुनके चम्फी फेन ढेर बोलक नैचाहल् ओ ओट्ठेसे ढुर चल्गैल् । उ हरबरिया ओस्टे करटी रहे । कुछबेर बेरमे एकठो सइकिल आइल् । हरबरियाहे झुकाइट् झुकाइट् भट्भेरवा डेहल् ओक्रेमे । अइसा गिरल् हरबरिया मुहे नाके रकट आइलग्लिस् । सइकिलिक् टिल्लीमे अँटकके हाँठक् अँगरी फेन मनके कुँच गैलिस् । ओट्ठेहें डैयाबाबा हुगैलिस् । एक्के घचिक मनै फेन जुट्गैलाँ । चोट लगैलक् ओरसे सक्कु जाने सइकिल् चलुइयक गल्ती डेखाइलग्लिस् । गल्लीमे नेंग्ना घुम्ना मनैनहे चलैटी रहना हरबरियक गल्ती कोइ टिगाइ नैसेकल् । सबके बल पाके डाइ सइकिलहवइहे अब्बे मारुँ, टब्बे मारुँ करे लग्लिस् । विचरा ! सइकिलहवा फेन आपन गल्ती महसुस कैल् । सक्कु जाने चोट लगैलक् बिरुवा–बाडी करक् ५ सय रुपिया टोक डेलाँ । पैंसा पाके हरबरियक डाइ खुश हुगैलिस् । लर्का डोब्नाओर नैलागल्, हरबरिया अभिन ओस्टे बा ।

आझ स्कूलीमे रजेल्टा सुनैना हुइल् बा । सक्कुजाने लर्का अपन बरस भरिक मेहनतके परिणाम सुने जाइटहिंट् । लर्का डगरे डगरे कुड्गटी छट्कटी स्कूल अइलाँ । चम्फीक् संगे हरबरिया फेन कुड्गटी स्कूल आइल् । चेंचवा, फग्नी, बुझ्ना ओ खुरबुट्नी ओकरले पहिलेहें स्कूल पुगरख्ले रहिंट् । चम्फी ठनिक् भारी रहे उहेसे उ ४ कक्षामे पह्रे । ओकर रजेल्टा भिटामे टाँसल् रहिस् । ओकर नाउँ सबसे पहिले लिखल् रहिस्, उ कक्षा फस्ट हुइल रहे । एक दुई कक्षक लर्कनके भर मस्टरवन् सुनैलाँ । सुनाइबेर चेंचवा, खुरबुट्नी, फग्नी, बुझ्ना पास कैह्के सुनैलाँ । हरबरियक नाउँ नैअइलिस् । उ महा ध्यान ढैके सुनटेहे, मास्टर कब मोर नाउँ सुनैहीं कैह्के सोचे लकिन सक्हुनके नाउँ सुनाइट् सम ओकर नाउँ नैअइलिस् । उ सम्झल् मास्टर मोर नाउँ कहक् छुटाडेलाँ ओ चिल्लाइल् ‘मास्टर मोर नाउँ नैआइल् ।’

सक्कु लर्का उहीहे हेर्टी हाँसे लग्लिस् । लकिन का करे हँसलाँ उ कौनो मतलब नैकैल् । जब मास्टर ‘हरबारी टुँ टे फेल हुगैलो ।’ कैह्के कलिस् । उ ढेबर बिच्कैटी ओट्ठेंहें रोइ लागल् । अभिन सक्कुजाने ठोपरी मारके हाँस्डेलिस् । उहिहे अभिन भोहर लग्लिस् । उ झरफरा झरफरा रोइ लागल् । पाछे ओर डिडी चम्फी सुफ्लाके घरे नन्लिस् ।

यहोंर ओकर डाइ खिडिया यी बात सुन्लिस् टे मस्टरवनहे सराप सराप गरियाइल् । लेकिन कब्बो नैसम्झल् कि मोर लर्का स्कूल जाके कब्बो कक्षामे पह्रठ् कि नै ? सक्हुनसे मिलके बैठे कि नै ? मोर छावा कैसिन बा ? कैह्के । जब हरबरिया स्कूल जाए टे ढुपौरापरसे कुडुक–कुडुक लहाइ जैना, बिजलीक् खम्हाँपर चौंहुरके घिरघिरिया खेल्ना, सरकेम् मोटर छेँक्ना, ढुङ्गा लब्डैना, अपनसे छोट लर्कनहे पिट्ना ओ एकदम भाग भाग घरे अइना करे । ओकर अइसिन बान डेख्के स्कुलिक मास्टरलोग फेन ओकर डाइक् ठन कैयौंबेर टुहिनके लर्का बड्मास करठ् ठनिक सुग्घरके सहेर्हाे कहेबेर, ‘छोट लर्का टे हुगैल्, भारी हुइ टे अक्किल् नैअइहिस् कि का सम्झाइ अइठो’ कैह्के डम्काके पठाए ।

चेंचवा डौरट् अफिस कोठामे आइल् । सर ! हरबरियइहे मोटर डाबडेलिस् ।’
मास्टर डहपटल् ‘कहाँ रे ।

सरकमे सर !

चुक्चुक्, यी लवन्डा कहिया नैसे डबुवा पैनाहस् करे । आझ ।

सक्कुजाने सरक ओर हेरे गैलाँ । सरकमे मनै गजागज रहिंट् । हरबरिया रक्तेरोहुन रहे । एक घचिक फक्कर फक्कर साँस फेरल् । बाँकी उ सदा दिनिक लग चलागैल् यी दुनियाँ छोरके । हरबरियक डाइ खिडिया उहिहे कोनामे लेले रोइटिस् । जब मास्टर ओहाँ पुग्लाँ टे खिडिया हेरल् । ओकर हेराइमे पस्टोके भाव झल्कटहिस् । उ मास्टरहे ढेरबेर टे हेरे नैसेकल् लकिन एक अँख्रा बोलल् ‘मस्टरवा भैया, मोरे पर्साडे यी लर्कक अइसिन कर्नी हुगैलिस् ।’ उ फेन लोट्लोट् ओट्ठेहें रोइ लागल् । मास्टरके आँखिम्से फेन आँख गिर्लिन् । गाउँक् मनै हरबरियक मौटमे चुक्चुकैलाँ । खिडिया अपन डुलारु छावा सम्झठ् । नैमजा काममे फेन कब्बो रोकछेंक नैकैके छावा छिह्लैलक् फेन सम्झठ् ओ जिन्गीभर पस्टैटी रहठ्, पस्टैटी रहठ् ।

छविलाल कोपिला
लमही नगरपालिका–६ उत्तर मजगाउँ, डेउखर दांग

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छविलाल कोपिला

लमही नगरपालिका–६ उत्तर मजगाउँ, डेउखर दांग