लेखनमे कम नैहुइँट् थारु महिला

कृष्णराज सर्वहारी
२६ श्रावण २०७८, मंगलवार
लेखनमे कम नैहुइँट् थारु महिला

लेखनमे कम नैहुइँट् थारु महिला

जागी आब नारी, इतिहास लिखैना बा
करे सेकब कैहिके, दुनियाँहे बटैना बा ।

यी पंक्ति बर्दियाके स्रष्टा सीता थारू निश्छलके हो । थारु महिला फेन आब लेखनमे जुर्मुरैटी बटैं । २०६८ सालके जनगणना अनुसार थारुनके जनसंख्या १७ लाख ३७ हजार ४ सय ७० बा । भाषाके दृष्टिसे थारु चौथा बरवार भाषा हो । थारु भाषामे करीब सवा एक सय पुस्तक ओ ओट्रे संख्यामे पत्रपत्रिका फेन प्रकाशित बटैं । मने हालसम आधा दर्जन थारू महिला लेखकके किल पुस्तकाकार कृति प्रकाशित हुइल बिल्गाइठ् ।

कृति प्रकाशित करुइया मनसे शान्ति चौधरी अपने मातृभाषा थारु ओ नेपाली, हिन्दी एवम् अंग्रेजीमे समेत कलम चलैठिन् । शान्ति चौधरी ६३ ठो कृति लिेखके नेपाली लेखिका मध्ये फेन शीर्ष स्थानमे बटि । मने उहाँक् जट्रा चर्चा हुइ पर्ना हो, हुइल नैहो । शर्मिला चौधरी सृष्टि, कल्पना चौधरी, रविना चौधरी रब्बु, सीता थारू निश्छल भर थारु भाषामे किल लिख्ठैं । पूर्व सभासद शान्ता चौधरी ओ टिभी आरजे नाम कमाइल शिवानीसिंह थारु, समाजसेवामे रहल बालिका चौधरी नेपाली भाषामे कलम चलैठि ।

शान्ति चौधरी
बाराकी शान्ति चौधरीके लेखनकर्म काठमाडौमे बा । खास कैके कविता लेखनमे हुँकार दख्खल बा । हुँकार २०७३ सम जम्मा ६३ थान पोस्टा प्रकाशन कैसेक्ले बटि । खोजी कर्ना हो कलेसे नेपाली साहित्यमे सबसे ढेर पोस्टा लिखुइया महिला स्रष्टामे पर्ठि उहाँ । २०४७ सालमे अपन आत्मकथा अर्थात् शान्तिके आत्मकथा लिख्के साहित्यमे छिरल उहाँ ओकरबाड पोस्टा प्रकाशनमे निरन्तर लागल बटि । हुँकार पहिल चरणके सबहस् पोस्टामे कविता, लेख, जीवनी आदि छ्यासमिस रचना बटिन् ।

बिग्रल टोहाँर समाज (२०५१), कमैया (२०५२), हमर दुधु (२०५३), वेटी (२०५४), गाँजा, डारु, अफिम एगो जहर बा (२०५४), गाँवके पहिचान (२०५४), कन्यौती (२०५४), उजर तारा (२०५५) यी सब कृतिमे थारू कविताके बाहुल्यता बा । बाराके जनजाति थारूके संरक्षण खातिर नेतृत्वके विकास (२०५५) पुस्तिकामे जम्मा ७ ठो थारू कविता बा । कमैया मुक्ति २०५७ सावन २ मे हुइल ओरसे उहाँ ओहे बरस मुक्त कमैयाके वर्तमान हालत (२०५७) पुस्तक फेन प्रकाशन कैले बटि । यमने फेन कुछ कविता बा ।

शान्ति चौधरीके लेखनके पहिल चरण कविता, लेख ढेर बिल्गाक्ष्ल ओरसे डोसर चरणमे उहाँ थारू संस्कृतिके टमान पक्ष, जीवनी साहित्यहे ढेर जोड डेले बटि । यी चरणमे तिलासंक्राइत माघी (२०६१), थारू संस्कृति साहित्यके कुछ हाँस्यव्यंग्य पक्ष (२०६२), पर्सा थारूके ऐतिहासिक ओ धर्मशाला बचाउ अभिमान (२०६५), ऐतिहासिक रामजानकी मन्दिर एवम् थारू धर्मशाला (२०६५), वीरगंजमे थारू हकमे सभा (२०६६) पुस्तक प्रकाशित बटिन्् । हाँस्यव्यंग्य सम्बन्धी पोस्टा बाहेक सबमे कुच कविता, लेख प्रकाशित बा । जीवनी साहित्यमे लोकतान्त्रिक जनयोद्धा भुमिपुत्र प्रभुनारायण थारू (२०६३) तथा गच्छदारके संक्षिप्त यात्रा (२०६६) तथा गच्छदारके जीवनमे आधारित डोसर पोस्टा नायक (२०६७) मे फेन कुछ थारू कविता बा । अइसिक अपनहे लेखिका÷कवियत्री लेखन रुचाउने शान्ति चौधरीके लेखन डोसर चरणमे फेन कवितामे केन्द्रित बा । सामान्य पुस्तिका कृतिके रुपमे अइेसेफे फेन छिटिर बिटिर रहल कविता प्रतिनिधिके रुपमे प्रकाशन करे सेक्लेसे उहाँ वास्तविक कविता प्रतिभा डेखे मिल्ना रहे । हुँकार पछिल्का कविता संग्रह (२०७३) समाजसेवी भद्रा घलेप्रति केन्द्रित बा ।

शान्ति चौधरीके बिचारमे महिलनहे आरक्षण डेलेसे फेन फेन पुरुषप्रधान समाज अभिन फेन विद्यमान रहल ओरसे महिलाके समग्र उन्नति हुइ सेकल नैहो । उहाँ कठि–हम्रे ३ दिदीबहिनी, ३ दाजु भाइ बटि । दाजुभाइ ओइने जन्मटि किल पैतृक सम्पत्ति पैठैं । हम्रे जुन कुछ ना कुछ । अब्बे कानुन छाइछावनहे बराबर अंश डेना कलेसे फेन महिलन अंश पाइक् लाग लरे परल बा । जबसम आर्थिक रुपमे महिला सहभागिता बराबरी नैहुइहीं, टबसम देश विकास दु्रत गतिमे आघे बरहे नैसेकी ।
लेखनमे आफू स्वतन्त्र ढंगसे लागल रलेसेफेन सरकारी सम्मान नैपाइल गुनासो करटी लेखिका शान्ति कठि– राजनीतिक भागवण्डासे वास्तविक स्रष्टा ओझेलमे बटैं । अन्य क्षेत्रमे फेन ओहे हाल बा । ओहेमारे, आब महिला लोग फेन राजनीतिक रुपमे सचेत हुइ पर्ना जररी बा । विडम्वना, गाडीमे आरक्षण महिला सिट लिखल हुइलेसेफेन पुरुषनहे सिट छोरक् लाग अर्जि करे नैसेक्गैल हो । अस्टे पीडा महि अपन लेखनमे उटरटी आइल बटुँ ।

कृति प्रकाशन करल थारु महिला स्रष्टा
कैलालीके शर्मिला चौधरी ‘सृष्टि’ शान्ति चौधरीके बाड थारू साहित्यमे डेखापरल सशक्त महिला हस्ताक्षर हुइटी । आठ कक्षा अध्ययन करेबेर कविता लेखन शुरु करल हुकाँर ‘मनके फूला’ कविता संगैह (२०६२) ओ ‘दुःखके हल्कोरा’ (२०६४) उपन्यास प्रकाशित बा । समालोचक सुशील चौधरीके अनुसार शर्मिलाके डुनु कृति बेजोड बा । मने अझकल हुकाँर लेखन बन्द बटिन् । कंचनपुरके कल्पना चौधरी ‘उजरल घर दुवार’ (२०६२) कथा संग्रह प्रकाशित केले बटि । कैलालीक रविना चौधरी रब्बुके ‘ओंरी’ गजल संग्रह (२०७१) ओस्टके बर्दियाके सीता थारू निश्छलके परगोह्नी गजल संग्रह (२०७२) प्रकाशित बा । ओंरी संग्रहमे थारू भाषामो किल गजल सिमोटल बा कलेसे परगोह्नी संग्रहमे भर मूल लेखन थारू भाषामे टब ओकर अनुवाद फेन सिमोटल बा ।

बर्दियाके बालिका चौधरीके जीवनका बक्ररेखाहरु (२०७३) पुस्तक प्रकाशित बा । यमने उहाँ झमक घिमिरे हु् परिवारके सदस्यके कारण पहर््ना कठिनाइ हुइल पीडा पोखले बटि । उहाँ कठि–‘मै छाइ मनै । दुनिया जा कहठ, ओहे माने परठ सबके मानसिकता । मने मै आउर जहनसे फरक रहुँ ओ बटुँ फेन । मै फेन छावा मनैं हस् काम कैके डेखाइ सेक्बुँ । मैे फेन आब कुछ बोले परठ ओ घरबाहेर निकरके कुछ संघर्ष करे परि कना सोंचसे भारी भारी पहार उच्याइ खोज्नु । कबु खोल्टा खोडेलैं टे कबु काँडे तारके बार लगाडेनैं । मने कौनो बन्धन छेंके नैसेकल, मै अपन डगर नेंग्टी रनु निरन्तर ।’ सब छाइ मनै अपन हस् महत्वाकांक्षा लेके आघे बरहे सेक्लेसे देशके मार्गचित्र हलि सुन्दर बनेसेकी कना उहाँक् बुझाइ बा ।
मोडल ओ टेलिभिजनमे आरजेके रुपमे नाउँ कमाइल शिवानी सिंह थारुके काठमाडौमे एकदिन नामक् उपन्यास प्रकाशित बा । डाइ गैरथारु हुइलेक ओरसे ह्ुँकिन थारु भाषा बोले नैअइठिन, ओहेमारे उहाँ नेपाली, अंगे्रजी भाषामे किल लिख्ठी ।

पूर्व सभासद शान्ता चौधरी कमलरीदेखि सभासदसम्म पुस्तक लिखके बजारमे नानल बाड बल्ले उहाँहे कलमके शक्ति पटा हुइलिन । हुकाँर अनुभवमे दश ठाउँमे अपन बिचार ढारक् लाग कुड्ना से पुरा पुस्तकसे दशौं हजार मनैंन अपन बिचार बाँटे सेक्जाइठ । कमलरीदेखि सभासदसम्म पुस्तकमे उहाँ १८ बर्ष औरेक् घरम् भाँरा मिसके, मालिकके तीत बचन सहके मुक्तिके बाड भूमि आन्दोलनमे लागके नेतृत्व तहमे आइल प्रसंग लिख्ले बटि । पहिल पुस्तक लेखनके उत्साहसे हुँकिन डेसर पुस्तक निकरना जाँगर लागल बटिन । गरिबीबारे डोसर पुस्तक लिेखके अन्तिम तयारीमे लागल शान्ता कठि–सांसद टे ६०१ जना बटैं । मने पुस्तक लिख्ना सभासद कमे बटैं ओहेमारे महिन अपन लेखन कर्ममे गर्व लागठ ।

अन्य थारु महिला स्रष्टा
अन्य फुटकर थारू महिला लेखक फेन लेखनमे हौसल बटैं । जेमने बिष्णु कुसुम, भूमिका चौधरी, बुनु थारु, सरिता चौधरी पछलडंग्या, सरिता सानु, हिराकुमारी चौधरी, कृष्णा चौधरी, मन्नी चौधरी, कुसुम चौधरी (दाङदेउखुरी), निशा चौधरी, सरस्वती कुसुम्याँ, गीताञ्जली पछलडंग्या, आरती चौधरी, सुमित्रा चौधरी (बर्दिया), संगिता चौधरी (बाँकें), पवित्रा चौधरी, उन्नती चौधरी, अनिता चौधरी, दिव्या प्रयासी, कविता चौधरी, घनिमाया चौधरी, प्रेमा थारू, सिर्जना चौधरी, पार्वती चौधरी, प्रेमा चौधरी, (कैलाली), सानु चौधरी, साफी चौधरी, शान्ती चोधरी, रविता चोधरी, गीता दृष्टि, प्रकृति पूजा (कंचनपुर), गीता चौधरी थारु (सप्तरी), निरु भगत (मोरङ), गीता पञ्जियार (उदयपुर) बटैं । यहाँ चर्चा करल स्रष्टा प्राय गजल, कविता लिख्ठैं । निवन्ध, आख्यानमे फेन थारु नारी स्रस्टनके कलम डौरना जरुरी बा । हरचाली साहित्यिक त्रैमासिक ओ एकपरगा डट कम टमान लावा लावा महिला लेखक लोगनके रचना समेटके महिला स्रस्टनहे ढेरसे ढेर सिमोट्के जोस जाँगर डेले बा । लगैले बा ।

कृष्णराज सर्वहारी
लमही ७ छुट्की घुम्ना डेउखर दांग

लेखनमे कम नैहुइँट् थारु महिला

कृष्णराज सर्वहारी

लमही ७ छुट्की घुम्ना डेउखर दांग