सिंहपुरके परिचय ओ इतिहास : एक अध्ययन

सागर कुस्मी
२७ श्रावण २०७८, बुधबार
सिंहपुरके परिचय ओ इतिहास : एक अध्ययन

सिंहपुरके परिचय ओ इतिहास : एक अध्ययन

विषय प्रवेश
कंचनपुर जिल्ला नेपालके सबसे पश्चिममे पर्ना जिल्ला हो । यी जिल्ला छिमेकी राष्ट्र भारत संग जाेंटल बा । २०६८ सालके जनगणना अनुसार नेपालके कुल जनसंख्या २ करोड ६४ लाख ९४ हजार ५ सय ४ रहल बा । ओस्टेके कंचनपुर जिल्लाके जनसंख्या ४ लाख ५१ हजार २ सय ४८ रहल तथ्याङ्क डेखाइठ् । यहाँ कंचनपुर जिल्लाके कृष्णपुर नगरपालिकामे पर्ना सिंंहपुर गाउँक् बारेम् कुछ चर्चा कैल बा ।

सिंहपुर गाउँक परिचय
कृष्णपुर नगरपालिकाके गाउँ मध्ये सिंहपुर गाउँ पनि एक हो । गुलरिया बजारसे २ किलोमिटर डख्खिनमे पर्ना गाउँ हो सिंहपुर । उत्तरओर गुलरिया बजार, पुरुबओर मौरीफाँटा गाउँ, डख्खिनओर बन्जरिया गाउँ ओ पस्छिउँओर लालझारी बनुवाँ परठ् । कृष्णपुर नगरपालिकाके कुल जनसंख्या ५६ हजार ६ सय तीरचालीस बा कलेसे सिंहपुर गाउँके थारुनके किल जनसंख्या ३ सय ४२ (महिला १८१ र पुरुष १६१) बा । यहाँ थारुनके घरधुरी संख्याके ५४ घर परिवार बटैं ।

गाउँक् नाउँ अइसिक परल
पहिले पहिले वनजङ्गलमे बहुत मेरके जानबर मिलिंट । गाउँक् पस्छिउँओर एकठो बराभारी खयरके रुखवा रहे । ओहे रुखवाटिर एक जोरी सिंह (बाघ) बासस्थान रहे । ७६ बर्षिय जीतबहादुर डगौंराके कहाइ अनुसार ‘जङ्गलमे बहुट हाठी, बाघ, भालु, ओ सिंह किल रलक् ओरसे यी गाउँक् नाउँ सिंहपुरवा हुइल हो ।’ मनैनके बस्ती बैठ्टी गैलक् ओरसे यी गाउँक् नाउँ सिंहपुरवा हुइलक् हो कहिके जीतबहादुर डंगौरा बटैठैं । सिंहपुरवा कहटी कहटी पाछे अपभ्रम होके सिंहपुर हुइल हो । बिल्गेनामे सिंह जस्टे आकार हुयलेक ओरसे फेन यी गाउँक् नाउँ सिंहपुर हुइल हो कहिके कहाइ बा ।

सिंहपुर गाउँ बस्ती बैठ्नासे पहिल यहाँ पुरा घनघोर बनुवा रहे । यहाँ बाघ, भालु, हाँठी, हर्ना, मृग, लगायत बहुत मेरके जानबर ओ चिरैंचुरंगन मिलिंट । वि.स. १९९० सालमे २ घर परिवार बसाई सरके अइलैं । सुरुमे ढुरझरान घर ओ भलमसान घर २ घर परिवार किल यहाँ आइल हुइँट् । पाछे ढिरेढिरे अन्य परिवारके बसाई सरके अइटी गैलैं । बहुत दपरिवार टे शुक्लाफाटाँ आरक्ष बने लागल टे वहाँसे फेन बसाइ सरके (महेन्द्रनगर सिंंहपुर) आइल जानकार लोग बटैठैं ।

सिंहपुरसे कृति प्रकासन
कृष्णपुर ६ सिंहपुर कंचनपुुरसे २ ठो थारु भासाके पोस्टा प्रकासन हुइल डेख्जाइठ् । एक्के गाउँसे दुई ठो पोस्टा प्रकासन हुइना यी कंचनपुरके पहिल इतिहास हो । यहाँ थारु साहित्यके दस्तावेज हुइल यी दुई पोस्टाके बारेम् उल्लेख कैल बा ।

अस्टिमकिक् गीत
वि.सं.२०२५ पुस १७ गते जन्मल सिंहपुरके जोगराज चौधरी अस्टिमकिक गीत भाग–१ (२०६३) प्रकाशित कैले बटैं । यकर भाग २ अइना बाँकी बा । चौधरी संग अभिन टमान लोककथा, लोकगीत संकलित कैके जोगाके ढैले बटैं । उ अभिन प्रकासन हुय नैसेकल हो । अझकल उहाँ गाउँघरमे सामाजिक काम ओ राजनितिक क्षेत्रमे ढेर व्यस्त बटैं ।

सिर्जल मुक्तक संग्रह
कृष्णपुर ६ सिंहपुरमे जन्मल साफी चौधरी फेन सिर्जल मुक्तक संग्रह (२०७४) प्रकासित कैले बटि । यी मुक्तक संग्रह थारु महिलासे लिख्गैल नेपालके पहिल मुक्तक संग्रह हो । मुक्तक, गजल, निबन्ध, कथामे उहाँ सशक्त रुपमे कलम चलैटी आइल बटि । कंचनपुरके थारु भासाके पहिल पत्रिका सुमिरन पत्रिकाहे सम्पादनमे क्रियासिल स्रस्टा साफी चौधरीके लावा लावा पोस्टा अइना क्रम जारी बा । यी पोस्टामे समाजके यथार्थ, विम्व, राजजनितिक क्रान्ति, सांस्कृतिक चेत के रचना पाजाइठ् ।

सिंहपुर युवा कलव
कृष्णपुर ६ सिंहपुरके आयोजनामे २०७४ जेठ १ गते से ७ गते सम एक हप्ते गजल लेखन ओ उद्घोषण तालिम फेन हुयल बा । गाउँ भरक् ३५ जाने तालिममे सहाभागी हुइल रहिंट । जहाँ सागर कुश्मी, प्रेरणा पाण्डेय, लोकबहादुर महरा सहजिकरण कैले रहिंट । यी कार्यक्रम सिंहपुर युवा कलबके अध्यक्ष बाबुराम चौधरीके अगुवाईमे हुइल रहे ।

तालिम लेहल बाड कैयों स्रस्टा गजल, मुत्तक, लेखनमे आकर्षित होके साहित्य सिर्जनामे सक्रिय बटैं । लावा लावा पोस्टा अइना क्रम फेन जारी बा । गाउँ समाज ओ क्लबके आयोजनामे टमान सांस्कृतिक, खेलकुद कार्यक्रम फेन हुइटी आइल बा ।

सांस्कृतिक पक्ष
सिंहपुर गाउँ सांस्कृतिक रुपमे धनी बा । यहाँ टमान मेरके नाचगान हुइटी आइल बा । डसिया, डेवारी ओ माघमे सखिया नाच, झुम्रा नाच, दिन नचुवा नाच, मुंगरहुवा नाँच सिंहपुर गाउँमे हुइठ् । लोप अवस्थामे रहल मुंगरहुवा नाच, कंचनपुर जिल्लाके सिंहपुर गाउँमे किल अब्बेसम् संरक्षण ओ संचालनमे आइल बिल्गाइठ् ।

गाउँक् मरुवा
सिंहपुर गाउँक् मरवा गाउँके श्रमदान ओ नगरपालिकाके सहयोगमे पक्की मरुवा बनल बा । गाउँक् सक्कु काम मरुवामे हुइठ् । जस्टे ढुरिया पुजा, हरेरि पुजा, असारि पुजा, लवाँगि पुजा, आदि । ५४ घर परिवार रहल यी गाउँ सामाजिक काममे सबजे सक्रिय बटैं । गाउँक् कचेहरी कर्ना, छलफल कर्ना, तालिम संचालन कर्र्ना, २ कोठक् सामुदायिक घर फेन सिर्जल बा । सिंहपुर गाउँमे पनि ठाउँ अनुसारके चोकके नाउँ ढारगैल बा । यहाँ चार ठो चोक बा । हड्डा चोक, चुटिया चोक,.लभली चोक ओ ओके चोक ।

होमस्टेके तयारी
सिंहपुर गाउँमे भासा, साहित्य, संस्कृति चालचलन रितिरिवाज संरक्षण, सम्वद्र्धन करक लाग थारु होमस्टेके तयारीमे जुटल बटैं । यकर लाग टमान मेरके सांस्कृतिक नाचगानमे करट िआइल बटैं । मुंगरहुवा नाच ओ सखिया नाच टमान ठाउँ, महोत्सव ओ कार्यक्रममे प्रदर्शन हुइल डेख्जाइठ् ।

सिंहपुर सामुदायिक वन
सिंहपुर सामुदायिक बनके स्थापना २०५६ सालमे हुइल हो । सिंहपुर सामुदायिक बन कृष्णपुर नगरपालिका ६ मे अवस्थित बा । यी सामुदायिक बनुवँक् कुल क्षेत्रफल २०.४९७ हेक्टर बा । यी सामुदायिक वनके चार किल्ला निम्न बमोेजिमके बा । पुरबमे बल्हुवा लडिया, पस्छिउमे कुर्री खोला, लालझाडी–मोहना संरक्षित वन, उत्तरमे वनदेवी सामुदायिक वन ओ डख्खिनमे महाकाली सामुदायिक वन बा । मने वैज्ञानिक बनमे टमान विवाद हुइल ओरसे अब्बे नेपाल सरकार खारेज कैसेकल ।

रोजगारके स्रोत
सिंहपुर सामुदायिक वन व्यवस्थापन कार्यक्रम संचालन हुइल ओरसे रोजगारके स्रोत फेन खुल बा । सिंहपुर गाउँक् स्थानिय कुछ युवा रोजगार पेले बटैं । अझकल यी सामुदायिक वनमे स्थायी ओ अस्थायी रुपमे ८ जाने रोजगार करटी बटैं । यी सामुदायिक वनहे भविष्यमे आउर व्यवथित करे सेक्लेसे सयौं युवनहे रोजगार पाइ सेक्ना सम्भावना बिल्गाइठ ।

चिडियाखानाके अवधारणा
सिंहपुर सामुदायिक वन व्यवस्थापन समिती भविष्यमे चिडियाखानाके स्थापना कर्ना योजना बटिस् । अझकल कृत्रिम पोेखरी, उद्यान फेन स्थापना कैके बाह्य ओ आन्तरिक पर्यटक लोग भ्रमण करे आइ लागल बटैं ।

कुछ व्यक्तित्व लोगनके योगदान
सिंहपुर गाउँ समाजहे युवा परिचालन ओ सामुदायिक वनहे सही, मर्यादित, सुशासित रुपमे नीति नियम सञ्चालन कैनामे सामुदायिक वनका अध्यक्ष जोगराज चोधरी, बुद्धिराम चौधरी, क्लबका अध्यक्ष बाबुराम चौधरी, महाचिन चौधरी लगायत कुछ समाजसेवी लोगनके ढेर योगदान बटिन ।

निष्कर्ष
कंचनपुर जिल्ला कृष्णपुर नगरपालिका ६ सिंहपुर गाउँ एक नमूना गाउँ बनाइ सेक्लेसे यहाँके सांस्कृतिक सामाजिक, साहित्यिक विकासके मजा सम्भावना बा । यी गाउँके बुढापाका लोगनसे लोक साहित्य खोज अनुसन्धान कैके कृति प्रकाशन करे सेक्लेसे यी गाउँक् दस्तावेजीकरण हुइ । यी गाउँमे साहित्यकार, पत्रकार, कलाकार उत्पादन हुइना सम्भावना ढेर बा । यी ठाउँके युवा जागरुक हुइना जरुरी बा । साहित्यिक अभियान नियमित सञ्चालन करेलेसे यहाँके साहित्यिक झन्कार हुय सेकी । यकर लाग गाउँ समाज, युवा क्लब, सामुदायिक समिति जसिन संघ संस्था जागरक हुइना जरुरी बा । सक्कु गाउँबासी एकजुट, एकमुष्ट हुइलेसे सिंहपुरके अलग पहिचान झल्के सेकी । यकर लाग सक्कु जाने मिलके सहकार्य करे पर्ना जरुरी बा ।
सन्दर्भ श्रोत
१.चौधरी जोगराज, (२०७३) असोज १० गते
२.चौधरी बुद्धिराम, (२०७३) असोज १० गते
३.चौधरी बाबुराम, (२०७३) असार १७ गते
४.चौधरी महाचिन, (२०७३) असोज १० गते
५.चौधरी साफी, (२०७३) माघ ५ गते
६.कुश्मी सागर, (२०७३÷२०७४) स्थलगत अध्ययन

सागर कुस्मी

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