लावा घर

संगम चौधरी
४ भाद्र २०७८, शुक्रबार
लावा घर

कथा
लावा घर

सावनके महिना बर्खा खोप मचल रहठ । बड्रि ठरकट टे गीता झसक्के जाग जइठिन । चिमचाम पठ्रिमे पला रठिन । घरिमे समय हेर्ठि ठिक्के राटिक् बाह्र बजल रठिन । राट सुनसान रहठ । पानी झरझर झरझर बरसटि रहठ । घरक छँपरा चुनाहा हुइलक ओरसे जेहोर टेहोर पानी ट्यापटुप ट्यापटुप चुहठ सुनमिलठ । गीता ढिरेसे उठ्ठि ओ लोटिया खोरिया भाँरा बर्टन पानी चुनाहा ठाउँ डोगके सुटजइठिन । पानी अपन मनका खोप फरक फरक आवाज निकारके चुहे ट््यापटुप ट्यापटुप खुभलुंग छुझलुंग कर्टी ।

गीता आँख टुम्के निडाइ खोजठिन मने निन नैपर्ठिन । कान भर जागल रठिन । छोटमोट कोनम लर्काहे डुढ पिवैटि घरक छँपरा हेरठि । भलिमुँडा खर्हलेके छाँइल उहे फेन तीन चार बरस होगैल रठिन छैलक । खर्हक छँपरा खर्हक भिटा कुछडिनके लाग बनाइल घर कइसिन रहि । मजा घर बनैहिँ फेंन कसिके । भर्खे घर फुटके सुकम्बासि होके अइलानि जग्गामे घर बनाके बैठल रठंै । गीता करोट लेके एहोंर ओहोंर करटहिन । ओहोंर गीताके जीवन जोरिया विपिनके बरे मजा निन परल रहिन । निनफें काकरे नैपरहिन विचारा डिनभर घामपानी सहके इँट्टा ढुंगा बोक्के सिहरल जिउ औरे जहनके घर बनैलक् । बरे ढेंग ढेंग घरक उप्पर क्याटकुट कैके चौह्रे पर्ना ।

गीता विपिनके कहल बाट सम्झठिन । गिता भलिमुँडा घर बनालि घामपानी आँढि बौखासे बचप टे होजाइ । पाछे ढिरढिरे रुपिया जोर्के मजा घर बनाप । गीता यहे बाट सम्झठी ओ मन बुझैठिन । कब जुटाइ सेकही बिचारा विपिन अट्रा ढेर रुपिया ओ मजा घर बनैही । बनैना फेंन कइसिक सुकुम्बासि जमिन बा काल्ह कहाँ जइना हो पटा नैहो कहिके अनेक बाट सोच्टी सोच्टी भिन्सारे होजैठिन । गीताहे उठे पर्ना जुन होजइठिन । विपिनहे अन्गुट्टि कामेम जैना रठिन । खइना बनइना रठिन । विपिनके लाग खइना पिना सब तयार कैके ठिकठाक पारके भटौर बाँन्ढके उठाडेठि ।

विपिनके रोज डिनके यहे काम रठिन । बिहान भिन्सरहि जइना ओ साँझ अन्ढार घरे घुम्ना । कबुनै गीतासे मजासे संगे रहे पइना । सायड मजासे गीतक अनुहार डेख्लक ओ मजासे बैठलक कना भोजक डिन रहल हुइहिन । भोज कैके एक घचिक फेन मजासे बैठके बाट करे नैमिल्ना । विपिन ओ गीताके भेंट हुइना उहे राटके डियक ओजारमे एक डोसरहे डेखिँट । विपिन ओ गीता डिनके एक डोसरहे हेरे नैपलक ओरसे हुइ, एक डोसरहे बहुट मैयाँ करिँट । गीताफें विपिन घरे अइना जुन सँपरके रहिन । साँझके संगे बेरि खइना अस्रामे बैठल रहि गीता । डिन भर डुनुजे अलग अलग कामेम रलेसे फेन साँझके भेंट ओजाइँट् ओ डुनु परानी अपन अपन सुख डुःखके बाट साटिकसाटा करिँट ।

गीता ओ विपिन नैखाखाके डुनु परानी कमाके जोर्ना ओर लागल रठैं । उहे ओर्हना ओहे बिछौना रलेसे फेन ओ उठेबैठे बेर कुुँइच कुँइच बोल्ना खटिया टुुटल टुटल रलेसे फेन डुनुजे मिठ निनमे सुटिंट । गीता विपिनहे जीवन भर अपन सारा डिलसे हरचिजमे साठ डेम कहिक अप्ने आपसे बाचा कर्ले रठिन । गीता रोज डिन बिहन्नी उठ्ठि ओ परिवारके सेवामे लाग जइठिन । ढेंकी कुट्ना चकिया पिस्नासे लेके घरक सारा काम उसारिन । बोलिचालि मिठास, थारु पहिरन लहंगा चोलियामे बरे सोहावन डेखैठिन गीता । सावनमे सोहावन सवाँरल मन लोभाउन रुपरंग रठिन गीताके । हजारौंमेसे छाँटलहस रहिन गीता । ज्ञानगुनके बाट जेडा बट्वाइन । समाज सेवा, समाजके हिटके लाग जेडा चिटइना बानि गीताके । अपनसंग कुछ रलेसे नैरहल ओइन डेना बानि रहिन । कौनो फेन काम ओ बाट कर्नामे पाछे नैहट्ना बानि रहिन गीताके । ओहोर विपिन मनैनके घर बनैनासे सँपार नैरठिन । आझ एकर घर टे काल्ह ओकर घर बनाइमे डँटल रहिँट । विपिन एकठो सपना रहिन एक सुन्डर घर बनैना । अड्रिक अड्रिक महल घर बनाके अप्ने भर उहे झाेंपरीमे सुख सान्टिसे मिठ निनके संग राट बिटाइँट् विपिन ।

विपिनहे लाखौं रुपिया जुटैना रहिन । एकठो सुन्डर लावा घर बनैना । विपिन सिरिफ रुपिया कमैना ओ ढेर कमाके घर बनैना लक्ष्य रठिन । गोसिनियाँ ओ बच्चासे मजासे बैठे नैपाके कामेसे सँपार नैरठिन । विपिन ठोर बहुट रुपिया कमाके विडेस जइना सोंच बनालेठैं । गोसिनियाँ ओ छोटमोट बच्चाहे छोरके विपिन विडेस ओर लग्ठैं । बिचारी गीता आप विपिनके मैयाँ नैपाके जिन्गि अक्केलि लागे लग्ठिन । घरे रहलमे राट भर भेंट हुुइँट् विपिनस,े आप टे डिन ना राटके भेंट हुइना । विपिन घरे रहल बेर झोंपरीमे सुटके सुखडुखके बाट साटिकसाटा कर्टि मिठ निन बिटाइँट् । भिन्सरहि उठके विपिनके लाग खइना तयार कैके भटौर उठाके विपिनहे कामेम पठाइन । मने आप उ कर्ना जुन विपिनहे सम्झना किल बटिन गीतक । याड आइन विपिनहे मैयाँ कैके कामेम पठैलक । साँझके विपिनके अइना जुन सँपरके बैठल रहि गीता । मने आप केकर लाग सँपर्ना कहिके विपिनके याड आजाइन । संगे बैठके हाँस हाँसके बाट करि करि । मने आप किहिसे बाट कर्ना । कोखमे छोटमोट बच्चा, विपिन विडेसमे । गीता अक्केलि बैठ्के विपिनके याडमे हेराजाइन । गीता अपन जवानिके डिनमे बिटाइल डिनके समय सम्झे लगठिन । थारु परिवारमे जन्मलक कारन गीता छोटेसे थारु संस्कृतिमे रहनसहनमे हुर्कल रठिन । थारु गीट गैनामे कम नैरहिन । बच्चामे फेंन कम नैरहिन । विपिन फेन मन्ड्रा बजैनामे कम नैरहिंट । सायड यहे कारण डुनु जहनके जोरिया जुरल रठिन । गीता उहे डिन सम्झठिन । माघ मिलन कार्यक्रम रहठ । ठाउँ ठाउँसे नाचके बगाल आइल रहठ् । नाचके डब्निभिरिया हुइठ । यहे नाचके लाग गीता नचुनियाँमे छनौट हुइठि ओ विपिन मडरियाके लाग ।

कार्यक्रम सुरु हुइठ । कार्यक्रममे थारु पहिरनमे बगालेक बगाल बठिनियन झुमल रठैं । अड्रिक अड्रिक गहना, सुटिया, कारा, बाला, झिलमिलिया, माला, नठिया, लहँगा, चोलिया, झोबन्नासे सँपरल । थारु पहिचानहे झलकैना हर मेरके पहिरनमे सँपरके थारु जनेवन सारा मन्च छोपले रठैं । छलमल छलमल एहोंर ओहोंर सुरटमे खुसिक बहार रठिन । यहे हजारौंके बिचमे गीता फेंन कम सुग्घुर नैरठिन । हजारौंमे एक रठिन गीता । सुग्घुरमे सुग्घुर साँवरमे सँवारल । फुन्ना लागल लहँगा छमछम नेगाइ, नेगाइके संग सुवास उरैटि जैना हजारौंमे ढुम मचाडेठि गीता । ओहकान नाचसे सारा डर्सक हहरा परठैं । जस्टे नचुनियाँ ओस्टे मँडरिया । गीता हजारौंके मन जिटे लेठि । अट्रै किल नाहि विपिनके मन फेंन चोरा सेकले रहि गीता । विपिनफें का कम उ फें गीताके सब कुछ चोरा सेकले रहिँट । उ डिन गीता ओ विपिन थारु संस्कृति झल्कैना पहिल नम्बरके स्थान लेहे पुग्ठैं । ओ हजारौंके साम्ने सम्मान हुइठैं । उहे डिनसे गीता ओ विपिनके लजर एक डोसरसे बरे गहिंरसे जुझजइठिन ।

कारण डुनुजे एक डोसरके साठ पाके हजारौंके बिचमे सम्मान पैठैं । डुनुजे एक डोसरहे डिलसे ढन्यवाड ओ जिन्गिभर साठ डेना बाचा करलेठैं । जिन्गिक् सफलटामे एक डोसरके साठ चाहठ । उट्साह चाहठ । मैयाँ चाहठ । जिन्गिमे सफलटा पैना बा कलसे औरे जहनके हिट खोजे पर्ना रहठ । अप्ने गिरके फेंन औरे जहन उठाइ परठ ।

गीता ओ विपिन बिचमे यहे मन रठिन । गीता सारा जिन्गि विपिनके साठ सेवाके लाग अप्ने आपहे सौंप डेले रठिन । राट डिन गीता विपिनके अस्रामे रठिन । छोटमोट झोंपरि रलेसे फेंन गीता विपिनके मैयाँमे खुस रठिन । विपिन गीतासे करल बाचा जइसिक फेंन पुरा कर्नामे लागल रठैं । सोंच्ठैं अपन गीताहे सुन्डर घरेम बैठैम । एक सुन्डर घरेम मै अपन डिलके रानी गीताहे । लिपपोट करे नैपर्ना सिसा जइसिन चम्कना ढर्टि मे नेगइम गीताहे । गीतक आँखिम आँस नैआइडेम कहिके विपिन अपन डिलके रानी गीताके लाग सोंच्टि रठैं ।

ढिरेढिरे विपिनके सोंचल काम पुरा हुइटि जइठिन । अपन कमाहिके पंैसा पठैठैं ओ अपन जीवन संघरिया गीताके जिम्मा लगाडेठैं । गीता एहोंर गाउँम एक ठाउँ जग्गा किन्ठिन ओ घर बनैना सुरु कर्ठि । गीता बहुट मेहनट कैके घर बनैना ओर लग्ठि । डुपहरके जरेहस लग्ना घामेम उ टाटुल टाटुल इँट्टा ढुंगा बोक्के हाँठेम फोक्टा परापरा काम कर्ठिन । एकएक इँट्टा ढुंगा जोरजोरके भुख्ले पियासे काम कैके एकठो बरे सुग्घुर घर बनैठि । गीता एकचो लावा घर सुग्घुर घर टे बनैठि मने अभिन जिन्गिमे बहुट कुछ जरुरट परल महसुस हुइठिन । गीता अपन बिटल डिनके जिन्गि घुमके हेर्ठि, कहाँसे कहाँ पुुगाइल सम्झठिन । एक डिनमे यि संसारमे नैरहुँ । कइसिके मै डाइक कोखमे सिर्जे पुग्नु महि पटा नैहो । डिन डिनमे मनैनके लजरसे अडृस्यमे सिर्जटि गैनु । मोर सरिरके बनावँट कइसिके हुइटहे केक्रो पटा नैरहिन । मै जन्मनु, संसार महि डेखल ओ डाइबाबा महि सेहार सुसार कैके महि बचाइक् लाग मोर राटडिन ख्याल करे लग्लैं । एकडिन मै डाइ बाबनके घर हुर्कनु । आझ मोर घर विपिनके घर हुइ पुगल बा । जिन्गि कहाँसे कहाँ पुगाडेहल ।

गीता अपन बनाइल लाखौंके खर्चमे बनल घर हेर्ठि ओ सोंच्ठि । एकडिन मै यि डुनियाँमे नैरहुँ । मै अडृश्य रुपमे मने उप्पर वलाके लजरमे रहुँ । नौ महिना मोर घर डाइक फेंन रहे । टब जाके डाइ बाबनके बनाइल घरेम हुुर्कनु । कुछ बरस रहिके महि डाइबाबनके घरसे फेंन बिडाइ लेके विपिनके घर आइ परल । अपन यि घर फेंन स्ठायि नैहो आखिर कबसम रहे मिलि यि घरेम । गीता बहुट गहिरसे भावुक होजैठि । आखिर यि संसारमे सडासडा रना घर कौनो नैहो । सरिर अपन नैहो स्ठायि नैहो अन्तमे यि डुनियाँफें हमार घर नैहो ।

गीता जिन्गि ओ रना घरके बारेम सोंच्टि रठिन । घर सब तयार रठिन । विपिन विडेससे घर अइना सुरसार करठैं । एहोंर गीता विपिनके अस्रामे रठि । बरसडिनके बाड गीताके जिन्गिमे खुसि छाँइटहिन । जिन्गि रंगिन हुइटहिन । विपिनके अइना सुनके गीताके डिलके ढकढिउरि जोरजोरसे हिल्ना सुरु होगैल रहिन । अपन विपिनसे भेंट करक लाग जिउमे छटपट्िट हुइटहिन ।

विपिन अपन घरक अंगनामे पैला का टेक्ले रहिंट अचानक ढर्टिम ढलजइठैं । केउ सोंच्ले फेंन नैरहिँट असिन हुुइ कहिके । गीताके खुसि पलभरमे हेरागैलिन । विचारि गीता विपिनके एक्के सबड आवाज सुने पैलि गीता कहिके । जब विपिन ढर्टिम ढलगैलैं टे गीता चिल्लाइ लगठिन । डौरटि जाके विपिनहे अपन उँक्वारमे लेठि । विपिन अन्टिम साँससे टरपटहिँट । मौटके समस्यासे विपिनके घटना हुइठिन । विपिन सडाके लाग संसार छोर्के गैसेकल रहिँट । गीता चिल्ला चिल्ला रोइटहि । विपिनके करल बाचा एकएक कैके सम्झटहिन । विपिनके एकठो लक्ष्य रहिन सुन्डर घर बनैना । विपिन घर टे तयार करलैं मने उ घरेम एक पैला टक टेके नैपैलैं ।

गीता विपिनके एकएक बाट समझके रोइटहि । आझसम औरे जहनके बैठ्ना सयौं बनाइल हुइहि । अपन घर बनैलैं मने संसारसे बिडा होके बैठ्ना घर सोचे नैसेक्लैं विपिन । गीता विपिनके सरिरमे लोटलोटके रोइटहिन ओ अपन लावा घर बनैलक अपन सुखडुःखके भोगाइ सम्झठि । घामे पियासे, भुख्ले ओ बेराम रहल बेला फेंन काम कैके जिन्गिमे एकठो बलगर मजा घर बनैना लक्ष्य लेके एकएक रुपिया कैके जुटाइलक् पैंसाले लावा पक्की घर बनाके रहे नैपैना । यि कइसिन जिन्गि हँस्ना, खेल्ना, खइना बेला संसारसे बिडा लेह पर्ना । गीता अप्ने आपहे एक प्रडेसि जस्टे महसुस कर्ठि ।

एक प्रडेसि प्रडेस जाइठ काम करल ओ ढेर पैंसा कमाके फेंनसे घुमके आइ पर्ठिन अपन घर । गीता अक्केली घरम ओट्रा भारी घरम अक्केलि रठि ओ लावा घर सम्झठि संसारके नाहि स्वर्गके जहाँ हमार लाग टयार बा कना अस्राम ओ ख्रिष्ट प्रभु हन ढन्यवाड जे स्वर्गम ठाउँ टयार पार जाइटुफे अइम ओ सक्कु जहन लैजैम स्वर्ग घर कहल बाटके अस्रामे रठिन । जट्टिसे एकडिन सब जहन यि डुनियाँ छोर्के सब जहन लावा घर स्वर्ग जाइ पर्ना बा । ओराइल ।

संगम चौधरी
पुनर्वास २ कंचनपुर

लावा घर

संगम चौधरी