पाछे पुस्टा पाछे बुद्धि

बालगोबिन्द चौधरी
७ भाद्र २०७८, सोमबार
पाछे पुस्टा पाछे बुद्धि

कथा
पाछे पुस्टा पाछे बुद्धि

आझ सोनवा बरा सोंचाइ बिल्गाइटा, मानी उ बरवार लराइ हारल् बा या जिन्गीक् डौरानमें सबकुछ गुवँइले बा । अपन आधा शताब्दिक जिन्गी अपन पटा पैना हुइल टब्बेक् ओ आझुक अवस्थाहे तुलना करठ् । कट्ना फरक हुगैल् मनैनके चालचलन, रहनसहन ओ जिना तरिका । गल्ली ओरिक अंगना मनिक टुट्ली मचियम् बैठल् अस्टेक जाटेपाटे मनेम् खेलैटी रहठ् । टब्बे रुपना टिटि टिटिट् टी रुपना (मिट्वक् छावा) कारके हरन बजाके ओकर ध्यान टानलेठिस् ।

उहिहे डेखके सोनवा बरा अचम्म मानठ् । कुछ बरस पहिले एक डोका सामान लेके अइलक् मिटवा जिम्दार हुगैल् ओ टबेक् जिम्डार रहलक सोनवा अपन मिटवक् रैटी बन्गैल् । ‘बाबा का सोंचले रु’ रुपना पुँछठ् । बाबक पुरान मिटहे रुपना ‘बाबा’ कैहिके बोल्कारठ् । हड्बडैटी सोनवा कहठ् । ‘कुछु नै छावा टुहिन डेख्लुँ टे मिटके याड आइल ।’

रुपना गाउँओर चलजाइठ् । टब अपन मिटके सुरुसे आझटकके पुरा अभावसे लेके आलिशान जिन्गी सम्झठ् ओ अपनहे ढिक्कारठ । उहे मिटप्रति आक्रोशके भावना पलैठिस् ।

जौन दिन रुपनक बाबा उ गाउँमे आइल् टब्बे सोनवक जग्गा फाहल फुहल रहिस् । मालपोट बुझाइ कब्बो फेन जाइ नैपर्लिस सोनवाहे । सरकारी कामकाज सक्कु रुपना सहयोग कैडेहे । ओकर बड्ला सोनवा रुपनाहे हरेक टिउहारमे मरजाड लगाके स्वागत करे । हुइटी हुइटी ओकर मिट्वा गाउँक सक्कु थारुनके मन जिटलेहल् ओ सक्हुनके सरकारी कामकाज कैके सहयोग करे लागल । उ नैजन्ना तरिकासे ओइनहे लुटे लागल् । ओइने रुपना जट्रा मजा कैलेसे फेन उ भर अपन घरेम् एक गिलास चाय फेन नैखवाए ।

उ बिटलक घटना सम्झटी जाइठ् । एक दिनके बाट हो । सोनवइसे रुपना बैठे भरिक जग्गा माँगल । उ यी बाट ओट्रा नैमन्नाहस् करे लागल् । टब रपना खोब सम्झाइल । नैडेलेसे मिटके नाटा आझसे टुट्ना चेतावनी डेहल् । सोझ सोनवा आखिरमे स्वीकार कैके जग्गा डेहल् । अस्टेअस्टे समय बिट्टी गैल् । रुपना धनी बन्टिगैल सोनवा ओ सोनवा लगायत गाउँक् मनै गरीब हुइटी गैलाँ ।
जब रुपनक् असली रुप गाँउक मनै पटा पैलाँ ओ विरोध करे कग्लाँ टे रुपना उ गाउँ छोरके शहर ओर छारा कैके चल्गैल् । टब ओकर वास्तविकता पटापैलाँ । उहेकमारे एक डोका समान लेके पहारसे सरल रुपना आझ कार चौर्हना हुगैल् बा कलेसे पहिलेक जिम्डार रहलक सोनवा ओइनके रैटी बनक पर्ना अवस्थामे बा ।

आझ भरखे उ थारुनके आँख खुलल् बटिन् । पहिलक् बाट समझके आझकल भर्खे अकिल् अइलिन । टब सोनवा कहठ्–‘पाछे पुस्टा, पाछे बुद्धि’ कलक यिहे हो ।

बालगोबिन्द चौधरी
लमही ४ बनगाउँ डेउखर दांग

पाछे पुस्टा पाछे बुद्धि

बालगोबिन्द चौधरी