अपन बोली भाषा पहिचान बचैना बा

दिपक चौधरी ‘असीम’
१५ आश्विन २०७८, शुक्रबार
अपन बोली भाषा पहिचान बचैना बा


अपन बोली भाषा पहिचान बचैना बा ।
अइना पुस्टाहे अपन संस्कार बुझैना बा ।

आनक् रीतिसंस्कृति बोली भासा छोर्के,
खोज खोके अपन भासा बेल्सैना बा ।

हम्रे थारु एक बोली भाषा पहिरन अनेक,
जा जस्टे रलेसेफे मानक भासा बनैना बा ।

भाषा रीतिसंस्कृति गीतबाँसके धनि हम्रे,
समयअनुसार हमार संस्कृति झल्कैना बा ।

लागे परल मिलके कन्ढामे कन्ढा मिलाके,
हेरैटि रहल हमार संस्कृति फेर्से डेखैना बा ।

दिपक चौधरी ‘असीम’
कैलारी–२ बसौटी कैलाली

अपन बोली भाषा पहिचान बचैना बा

दिपक चौधरी ‘असीम’

कैलारी–२ बसौटी कैलाली