कविता
पानी हो सर्बक्षेष्ठ सबके पियास मेटइना,
पियास किल मेटइना नै सक्कु प्राणीके ज्यान बचैना ।
बहट पानी कुलवामे अनेक ठाउँमे पुगके,
मेटाइट पियास पियासलके जे बैठल रहट अस्रामे ।
दुषित नैकरी सक्कुजे, पानी पिना बा हम्रिहिनहे,
यी सफा पानी संगे जिन्दगी बिटैना बा हम्रिहिनहे ।
रेनुका चौधरी
कैलारी ७ कैलाली