जागी थारु डाडु भाइ एक जुत बनके आब आई हम्रे ।
हम्रे पुरान देउती, देउता संस्कुति खोजी चलो जाई हम्रे ।।
अपन भाषा कला हक अधिकार, पहिचानके लग थारु जागी ।
हमार थारु भाषा हेरैती रहलमे खाजी सक्कुजे बाचई हम्रे ।।
यी माटिक हम्रे फें थारु नेपाली जनता हुइ कहिके जुती ।
यहे धर्तीमे सक्कुजे मिल्के थारुनके संस्कृति झल्काई हम्रे ।।
सुटल थारु जागी जागी आब ते जागी आघे बह्री काहुन ।
दिनेक रोश्नी फेक् सेकल पाछेक पइला बह्राई हम्रे ।।
लाल चोल्या फुन्ना लागल लहङ्ग लगाके ढकिया बोक्ना दिदी ।
अहा ! कत्रा सुग्घर थारुनके पहिरन हमार चिन्हाँई हम्रे ।।
रामचरण चौधरी