सजना थारु गीत

चम्फा कुश्मी
१२ कार्तिक २०७८, शुक्रबार
सजना थारु गीत

मोरे पिछवरीया जमुनिया रे लुहुर लहुर करे
सारी रात हहरावइ निंदरे नही आवँइ
कटैबु मै पेरा जमुनिया रे कि पलंग सलैबु
जिहीमन सुतही ननदी जी के भयवाबेनियाँ डोलाइल धनियाँ रे गइल अलसाई
सासु ननदी बोली मारे करेजा मोरे सलै
अनदीक धनवा कुटयबु रे कि भुजवा भुजयबु
भेली मिठैया फोरी गबरु डगर बिचे खयबुहाँठ टे लिहल टेकुनिया रे शिरपर मोटरी
प्रभु जी के पटरी छइलियाँ चलल रिसियाइ
एक वन नाघल धनियाँ रे दुइरे वन नाघल
तिसरे बनकही बिचे मुरिला एक नाचेनाचकोरी सेकल मुरिला रे ठिकरे दुपहरिया
पानीके पियासल मुरिला मोर लहकत आवँई
यारेयारे कुइँया पन भरनी रे नाउँ नाही जनठँु
बुँदा एक पनिया पिवाइ डेउ मोर हिरडा जुराईना मोर कुईया मन पनिया जे बातै रे ना टे टरच लागल डोरी
कैसिके पनिया पिवाइ दिउ टोर हिरदा जुराई
कि ना टोरे कुईया मन पनिया जे बाते रे ना टरच लागल डोरी
बुँदा एक पनिया पिवाई डेउ मोर हिरदा ज्राईउजरा टे डोगल झीझरीया रे टुरुक पानी जाई
ना छैला पानीके पियासल मोर जोवन निहरलो
हाँठे टे लिहल टेकुनिया रे शिरपर मोटरी
प्रभुजकिे पटरी छइलीया चलल रिसियाईएक वन नाघलधनियाँ रे दुइृरे वन नाघल
तीसरे वनकट्टी बीचे एक सुरहुर लडिया
झीरहीर झीरहिर लडिया जे बहैं रे गोही हो मुस्की मारै
जौने घाट गोरी रे लहावँइ सुगुना बोली मारैभाजो टुँ भाजो सुगुना सुगुना रे कजरीक बने
मोरे पिहा बाटै रे सिकरीया टोहाँर जीउ मरही
हाँठे टे लिहल गुरटा गलेलीया रे काखरे सुट जबिया
चले छैला चिरीया सिकारे कजरी वन बिचेडाँरे डाँरे नाचल सुगुना रे पात हो पात छट्के
डरियाँ झुकाई छैला मरहो सुगुना गिरी जैही
मारकही मरलो चिरिया रे मारे नही जनलो
मारी डरलो सुघरी चिरीया महिन दारद लागे–

चम्फा कुश्मी
बसौटी–७ डख्खिन टेँर्ही,कैलाली

सजना थारु गीत

चम्फा कुश्मी

बसौटी–७ डख्खिन टेँर्ही,कैलाली