मोर टुटल झोपरीमे साथ देम कहुइया कहाँ गइलो ?
मोर लाग हर दुःखमे ज्यानफे देना मनइयाँ कहाँ गइलो ?
यी जिन्गीके डगरमे काँटै काँटासे भरल बा मोरिक डगर ।
ठेस लागल मोरिक यी मनमे शान्त पारदेहुइया कहाँ गइलो ?
अस्रा लाग्नु तोहाँर लग कत्रा यी टुटल झोपरी छाँछुके ।
यी मोर टुटल झोपरी रंगी-चंगी बनुइयाँ कहाँ गइलो ?
मोर टुटल झोपरीमे तोहाँर मैयाँ हुइले से पुग्जाइ कहना ।
मोरिक अङ्नामे फुला बन्के महकुइया कहाँ गइलो ?
रामचरण कुश्मी चौधरी (एकल यात्री)