मोर टुटल झोपरी

  रामचरण कुश्मी चौधरी (एकल यात्री) 
१० मंसिर २०७८, शुक्रबार
मोर टुटल झोपरी

मोर टुटल झोपरीमे साथ देम कहुइया कहाँ गइलो ? 

मोर लाग हर दुःखमे ज्यानफे देना मनइयाँ कहाँ गइलो ?

यी जिन्गीके डगरमे काँटै काँटासे भरल बा मोरिक डगर । 

ठेस लागल मोरिक यी मनमे शान्त पारदेहुइया कहाँ गइलो ? 

अस्रा लाग्नु तोहाँर लग कत्रा यी टुटल झोपरी छाँछुके । 

यी मोर टुटल झोपरी रंगी-चंगी बनुइयाँ कहाँ गइलो ? 

मोर टुटल झोपरीमे तोहाँर मैयाँ हुइले से पुग्जाइ कहना । 

 मोरिक अङ्नामे फुला बन्के महकुइया कहाँ गइलो ?

          रामचरण कुश्मी चौधरी (एकल यात्री) 

मोर टुटल झोपरी

  रामचरण कुश्मी चौधरी (एकल यात्री)