सुग्घुर जन्नि छाँटके

संगम चौधरी
२६ मंसिर २०७८, आईतवार
सुग्घुर जन्नि छाँटके

सुग्घुर फुलाहे के मन नै पराइठुइ । चमेलि फुला फेन अस्टे हो । इ फुलाहे कौन भौंरा मन नै पराइठूइ । डेख्नामे बरे उज्जर , बरे सुग्घुर , मग्मग् मग्मग् बास अइना डेख्टि सुहावन । ओजरिया राटमे टे आउर सुहावन लागठ् इ फुला । भौँरा ओ पुट्लि फेन उहे फुलामे भुलल् रठैं । लौटन फेन एक्ठो सुग्घुर जन्नी छाँटके भोज करठ् । लौटन एकठो सुन्दर घरके सुरुवाट करना सोचठ् । लौटनके मनके रानिक् नाउँ फेन् चमेलि रठिस् । चमेली हे अपन घरक् सोभा बनाइ पुगलरठ् । लौटनके खुशि ओ चैनार घर रठिस् । चमेलिहें डेखुइया सबजे कहिंट असन सुग्घुर तर्नि बटिन । डेख्टि सुहावन सुग्घुर रहिन उ । चमेलिक् फुला हस सुग्घुर रहिन हुँकार पर आँखि नैलगुइया के नैरहल हुइ । सुग्घुर चिजहें के नै आँखि लगाइ ना । मने लौटन चमेलिक् मे पुरा भरोसा करके सारा घरक् जिम्मा लगाके परडेस ओर लाग जाइठ् ।

लौटन परिवारसे बिदा लेके अपन मुटुक टुक्रा चमेलिहें छोर्के विदेश लागठ् । विदेश जाके रुपैया पठैना सुरु करठ् । घरक रेखडेख जिम्मेवारी सब चमेलिक् रठिन । डाइ बाबा कुछ करे नैसेक्नाके कारण सब जिम्मा चमेलिक् रठिन । कुछ महिना मजै चल्टि गैलन् । चमेलि मजैसे घर चलाइटहिन मने  उहे सुग्घुर फुलाहे जे फेन मन पराइठ् ओ टुरक् लग सबजे हाँठ् नफैठैं कहे हस चमेलि फेन एकठो डोसर भौँरक् संगे मोहन्या गैलिन । बिदेशके रुपया मे फुलमासि करे लग्लिन । सब हावामे उराइलग्लिन । चमेलि अनेक् बहाना से घरसे बहर जैना ,  घर बनैना टे डुरके बाट रहिन । अप्ने आपहें बिसरगैल रहिन उ , लौटनके मैयाहें बिस्रैनाटे डुरके बाट हो । उ कहाँ बटुँ का कर्टु कैके सब भुलासेकल रहिन । चमेलिहे अपन घरके गहना समझले रहे लौटन मने उ गहना नाहि घर फोरना सिना निकरलिन् । जोन कि एक स्त्रिके घर बनैना जिम्मेबारि डेगैल रहिन । जन्नि जाट घरेक मुटु जस्टे हुइटां कठैं । जे अपन श्रीमानसे लेके अपन घर अँगना सास ससुर्वा बाल बच्चनके स्याहार सुसार कर्ना भारि जिम्मेवारी रठिन । प्रशंसा टे ओकर हुइठ्  जे रात्ति उठके भाट भन्सा करठ् , घर अँगना सुग्घुर कर्ले रहठ् । चमेलिक् फेन इहे जिम्मेवारी रहिन , मने उ अपन सारा जिम्मेवारी बिस्रागैल रठिन ।

लौटन सब रुपैया चमेलीके बैंक खातामे डर्टि जाइठ् मने उहि पटा नै रठिस् कि चमेलि कोन डगरमे चलटिन । एहोंर चमेली रुपयाहें हावामे उराइटहिन । लौटन चमेलिहें सम्झैना बहुठ् कोसिस करल मने उ बहुट डुर पुगसेकल रहिन । चमेलि घर छोरके बहुठ डुर गैसेकल रहिन । जिहिहे उ अपन जिन्गि सम्झले रहे उहे सबुकुछ उजार उजारके गैलिन । जेकर लाग राट दिन भुँख्ले प्यासे काम करके रुपया जुटाइठ् । जिहि  हरपल सोंच्ना करठ् उहे सब उजारके गैलिन । सुर्यहें साक्षि ढारके खाइल बाचा कसम पल भरमे टुरडेलिन कत्रा झुठा बाचा , कत्रा छलि मन हुँकार  । कठैं सबसे छलि रठिन मनैनके हृदय , पलभरमे बडलडेठैं । सुर्यके बिहानिक यात्रा संगे  जिन्गिक यात्रा सुरु करलक् उ साठ् छोर डेलिन् । लौटन के उ सुन्डर सपना सब फुटजैठिस् । विडेस जाके सुन्डर परिवार बनैम कना ओकर सपना अढुरा रहजिठिस् । चमेलिहे कोइ अउरे जे टुरके लैजिठिस् । उहे मारे सुग्घुर जन्नि छाँटके लेना बेकार बा लरको , कटि गाल पकरके कवाइल रहजाइठ् । ओराइल ।

संगम चौधरी

सुग्घुर जन्नि छाँटके

संगम चौधरी