भुख ओ प्यासके इक्षा मारके नेगटुँ ।
संस्कृटि बचैना जोँजा बारके नेगटुँ ।
कंन्ढम् झोला, कापि ओ कलम लेके,
चुत्रक् ढोटि ओ भेगुवा फारके नेगटुँ ।
ना रोकेसेकि बनुवा, ना लडिया पखुवा
हाँठक् ओ गोरक् ठेहुनि गारके नेगटुँ ।
एकरोज मेहनठ्के फल पैना अस्रम्
हिम्मत कस्के हरडम् ठारके नेगटुँ ।
महि जलम् डेहुइया थारुनके लाग,
सारा बाढा अरचन् सारके नेगटुँ ।
-संगम चौधरी