गजल
भाषा संस्कृतिक साहित्यके मुल फुटैटी आउ शुभकामना बावै ।
सब मनैन अक्के मालामे गुँठके जुटैटी आउ शुभकामना बावै।
अइसिन बनाउँ स्टेज दर्शक लोगनके मनमे हलचल मच जाए,
पुरान संस्कृतिक ढमार, मागर, बजैटी आउ शुभकामना बावै ।
मिठ मैगर साहित्यसे सारा माहौल मन्के नाचगानसे राहरंगी बने,
झुम्रम, सखियम, मघौटम फेन नचैती आउ शुभकामना बावै ।
हर डाडुभैयनके पुठ्ठम ढोटी डिडिबाबुनके आंगम लेहंगा सजे,
पहिरनमे थारु संस्कृतिक सिंगार सजैटी आउ शुभकामना बावै ।
हरदम अस्टक खुशी भर्टी जैहो हमार थारु समाजमे टुँ माघ,
सक्कु नाटपाँटनसे सैगर मैगर मिट लगैटी आउ शुभकामना बावै ।
संगम कस्मी
कैलारी ८ डख्खिन टेंह्री, कैलाली