२२ बैशाख २०८१, शनिबार
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गजल
गजल
तिलक डंगौरा
हर दिन हर एक लावा समस्यासे जुझटुँ मै
१० बैशाख २०८०, आईतवार
गजल
सन्देश दहित
जोन्ह्याँअस सिट्टर मुहार हेर्क अघाइ डेउ
१० बैशाख २०८०, आईतवार
गजल
सागर कुस्मी
महि अभिन बहुत चिज कर्ना बाँकी बा
१० बैशाख २०८०, आईतवार
गजल
सागर कुस्मी
कबु अन्ढार कबु ओजरार आइठ काहे
७ बैशाख २०८०, बिहीबार
गजल
दिपक चौधरी "असीम"
प्राकृतिक बगियामे मेरमेरके फुला फुलल् डेख्ठुँ
१ बैशाख २०८०, शुक्रबार
गजल
संगम कुस्मी
करेसेक्ना कामकाजफें शुभ मंगल हुए टोहाँर
२६ चैत्र २०७९, आईतवार
गजल
लब्लिन क्यानभास
हावा हुरी आगी ओ पानी से डराए ना पर
१४ चैत्र २०७९, मंगलवार
गजल
संगम कुस्मी
मोर लाग अमुल्य उपहार टुँहि हुइटो
६ चैत्र २०७९, सोमबार
गजल
अंकर अन्जान सहयात्री
क ख रा नै पहर्के छावा फें बनल कमैयाँ
२५ फाल्गुन २०७९, बिहीबार
गजल
सागर कुस्मी "संगत"
हरेक परगामे आघे बर्हटी जाउ बाबु टुँ
२४ फाल्गुन २०७९, बुधबार
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