गजल

तिलक डंगौरा

हर दिन हर एक लावा समस्यासे जुझटुँ मै

१० बैशाख २०८०, आईतवार
सन्देश दहित

जोन्ह्याँअस सिट्टर मुहार हेर्क अघाइ डेउ

१० बैशाख २०८०, आईतवार
सागर कुस्मी

महि अभिन बहुत चिज कर्ना बाँकी बा

१० बैशाख २०८०, आईतवार
सागर कुस्मी

कबु अन्ढार कबु ओजरार आइठ काहे

७ बैशाख २०८०, बिहीबार
दिपक चौधरी "असीम"

प्राकृतिक बगियामे मेरमेरके फुला फुलल् डेख्ठुँ

१ बैशाख २०८०, शुक्रबार
संगम कुस्मी

करेसेक्ना कामकाजफें शुभ मंगल हुए टोहाँर

२६ चैत्र २०७९, आईतवार
लब्लिन क्यानभास

हावा हुरी आगी ओ पानी से डराए ना पर

१४ चैत्र २०७९, मंगलवार
संगम कुस्मी

मोर लाग अमुल्य उपहार टुँहि हुइटो

६ चैत्र २०७९, सोमबार
अंकर अन्जान सहयात्री

क ख रा नै पहर्के छावा फें बनल कमैयाँ

२५ फाल्गुन २०७९, बिहीबार
सागर कुस्मी "संगत"

हरेक परगामे आघे बर्हटी जाउ बाबु टुँ

२४ फाल्गुन २०७९, बुधबार